मणिपुर में हिंसा का कौन है जिम्मेदार? एक साधारण विश्लेषण ।

By: Nempal Singh (Advocate)

Date: 17/08/23




परिचय :

मणिपुर एक उत्तर-पूर्वी भारतीय राज्य है जो अपने सांस्कृतिक धरोहर, प्राकृतिक सौंदर्य और विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की जनसंख्या भिन्न-भिन्न समुदायों से मिलकर बनी है और धार्मिक और सांस्कृतिक विशेषताओं का अद्वितीय मेल है। हाल ही में मणिपुर में हुई हिंसा ने राज्य की शांति और सुरक्षा को खतरे में डाल दिया है। इस संकट के पीछे के कारणों को समझकर हम देख सकते हैं कि हिंसा का जिम्मेदार कौन है।

मणिपुर की समस्याएँ:

मणिपुर राज्य को लगभग 2500 सालों से विभिन्न जनजातियों और समुदायों की आवाज सुनाई देती आ रही है। लोकतांत्रिक संरचना के तहत मणिपुर अपने नागरिकों को स्वतंत्रता और अधिकारों का आनंद देने का प्रयास कर रहा है, लेकिन इसके साथ ही कुछ समस्याएँ भी उत्पन्न हो रही हैं जिनसे हिंसा की ओर बढ़ता कदम दिख रहा है। यह आज के समय में एक गंभीर समस्या है कि मणिपुर में अभी तक भी शांति स्थापित नहीं की जा सकी है। अप्रत्यक्ष रूप से सभी इस बात का बोध कर सकते हैं कि मणिपुर की समस्या का राजनैतिक रूप से हल किया जा सकता है या नहीं।

जड़ों में छिपे कारण:

  1. जातिवाद: मणिपुर में विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच जातिवाद और उन्नति में असमानता की समस्या है। यह सामाजिक विभाजन और द्वेष को बढ़ावा देता है, जिससे हिंसा की भावना उत्पन्न होती है। आज के परिदृश्य में यह कथित रूप में सुनने में आता है कि किस प्रकार से आरोप और प्रत्यारोप राजनितिक तौर पर लगाए जा रहे हैं। इसके पीछे छिपे हुए पहलू को यदि समझा जाए तो यह बहुत ही आसानी से कहा जा सकता है कि समस्या को हल किया जा सकता है लेकिन पहल करने का अधिकार किसके पास है, इस विषय में बुद्धिजीवी वर्ग के लोग जानते हैं।


  2. राजनीतिक खगोलशास्त्र: मणिपुर में राजनीतिक खगोलशास्त्र का माहौल है, जहाँ विभिन्न दल और समूह अपने-आप को सबसे अधिक सशक्त बनाने की कोशिश में हैं। इसके परिणामस्वरूप, सियासी समस्याएँ भी बढ़ गई हैं, जो हिंसा के साधन बन सकती हैं। जाहिर तौर पर राजनीतिक तौर पर बहुत सी पहल की जा सकती है लेकिन दुर्भाग्यवश जमीनी स्तर पर किसी भी प्रकार का परिणाम दिखाई नहीं दे रहा है।


  3. अर्थव्यवस्था की कमजोरी: मणिपुर की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है, जिसमें बेरोजगारी और गरीबी की समस्या है। ऐसे माहौल में लोगों में आत्म-निर्भरता की कमी होती है, जिससे उन्हें आपसी सहमति की बजाय समस्याओं का समाधान खोजने में कठिनाई होती है। यहाँ तक कि आदिवासी समाज को भी धार्मिक व राजनीतिक तौर पर काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बड़ा सवाल यही है कि आखिरकार यह विरोधास्पद समस्या किस तरह से काबू की जा सकती है।


हिंसा के पीछे के कारण:

  1. जातिवाद और सामाजिक विभाजन: जातिवाद और सामाजिक विभाजन मणिपुर में हिंसा के प्रमुख कारण हैं। विभिन्न जातियों के बीच आपसी द्वेष और विशेषता की भावना ने विरोधी दलों के बीच उथल-पुथल को बढ़ावा दिया है।


  2. राजनीतिक संकट: मणिपुर में राजनीतिक समस्याएँ भी हिंसा के पीछे के मुख्य कारण हैं। राजनीतिक दलों की जिद और सत्ता में आने की इच्छा ने उन्हें आपसी सहमति के बजाय आपसी विरोध में डाल दिया है, जिससे हिंसा का बढ़ता प्रमुख कारण बना है। इसमें कोई दोराय नहीं यहीं कि वक्त रहते काफी समस्याओं का हल किया जा सकता था। कथित तौर पर इस बात की काफी चर्चा है कि मौजूदा सरकार यदि चाहती तो समस्या का हल समय रहते मिल सकता था।


  3. शिक्षा की कमी: शिक्षा की कमी भी मणिपुर में हिंसा के पीछे एक कारण है। शिक्षा की अधिकता से लोग अपने अधिकारों और समस्याओं के प्रति सही जागरूक नहीं हो पाते हैं, जिससे हिंसा के समाधान की दिशा में नकारात्मक प्रभाव पैदा होता है।

जिम्मेदार कौन?:

मणिपुर में हिंसा का जिम्मेदार कोई एक व्यक्ति या समूह नहीं हो सकता है, बल्कि इसके पीछे कई तत्व होते हैं जो मिलकर इस परिस्थिति को उत्पन्न करते हैं।

  1. समाज: समाज में जातिवाद, सामाजिक असमानता और धार्मिक विवादों की भावना हिंसा को बढ़ावा देती है। समाज को आपसी सहमति, समरसता और समाजिक न्याय के प्रति जागरूक होना आवश्यक है।


  2. राजनीति: राजनीतिक दलों की दलील और सत्ता में आने की इच्छा ने उन्हें हिंसा के साधन बनाया है। राजनीतिक दलों को राज्य की अस्मिता और सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार बनना चाहिए, न कि हिंसा को बढ़ावा देना चाहिए।


  3. शिक्षा: शिक्षा की कमी भी हिंसा के पीछे एक कारण है। शिक्षित और जागरूक नागरिक समस्याओं के समाधान की दिशा में सही दिशा में प्रयास कर सकते हैं।

निष्कर्ष:

मणिपुर में हिंसा का जिम्मेदार न केवल एक व्यक्ति या समूह होता है, बल्कि इसमें विभिन्न तत्वों का संयोजन होता है। समाज, राजनीति, शिक्षा आदि के क्षेत्र में सुधार करके हम हिंसा को कम कर सकते हैं। आपसी समझबूझ, सहमति और समरसता की भावना के द्वारा ही मणिपुर की समस्या पर काबू पाया जा सकता है।



No comments:

Powered by Blogger.