मसीह सेवकाई और भारतीय कानून/Article 25 of the Indian Constitution in Hindi

By Nempal Singh (Advocate): 


मसीह सेवकाई और भारतीय कानून 
        सबसे पहले यह जानना जरुरी है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। भारत एक गणतंत्र है जिसका अपना एक अलग संविधान है। एक ऐसा संविधान जो कई तरह के अधिकार और स्वंतन्त्रता प्रदान करता है। अब जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत में काफी धर्मों के लोग रहते हैं और भारतीय संविधान सभी धर्मों के विषय में समान रूप से परिभाषित है। साधारण तौर पर यदि कहा जाए तो कहा जा सकता है कि भारत के हर एक नागरिक को चाहे वो किसी भी धर्म से सम्बन्ध क्यों ना रखता हो, धर्म के विषय उसे में समान अधिकार प्राप्त है। अब आज के समय में मसीह कालीसियों का भारत में काफी विरोध देखने में आता है। इसके पीछे एक धारणा यह मानी जा सकती है कि भारत में हिन्दू बहुल आबादी इस धर्म को पश्चिम का धर्म मानती है और विरोध करते हैं। लेकिन भारत का संविधान ही मुख्या रूप से भारत में रह रहे मसीह लोगों की रक्षा करता है। संविधान ही एक ऐसा साधन है जिसके माध्यम से मसीह समाज को उनके अधिकार मिल पाते हैं। धर्म के सन्दर्भ में भारतीय संविधान में कुल चार अनुच्छेद हैं।  हर एक मसीह व्यक्ति को अपितु भारत के हर एक नागरिक को इन अधिकारों के विषय में जानकारी होना बहुत अधिक आवश्यक है। भारतीय संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 25 (Article 25)  से लेकर अनुच्छेद 28 (Article 28) तक धर्म के विषय में व्याख्या दी गयी है। 





अनुच्छेद 25 के अंतर्गत :
       भारतीय संविधान के अंतर्गत अनुच्छेद 25 (Article 25)  के अनुसार भारत के हर नागरिक को अन्तः करण की स्वंतन्त्रता है। अन्तः करण की स्वंतन्त्रता का अर्थ है कि व्यक्ति हो अपने अंदरूनी यानि कि अपने अन्तः मन से ईश्वर के किसी भी रूप को और अपनी स्वयं की इच्छा से किसी भी धर्म को भारत देश में रहते हुए मानने की स्वतंत्रता है। इसके साथ ही साथ वह व्यक्ति किसी भी धर्म के अनुसार आचरण कर सकता है और किसी भी धर्म का खुले रूप में प्रचार व् प्रसार कर सकता है। लेकिन यदि किसी व्यक्ति के द्वारा अपने धर्म के अधिकार का प्रयोग किया जाता है और उसके द्वारा लोक व्यवस्था, सदाचार और लोक स्वास्थ्य को प्रभावित किया जाता है तो वह गैर क़ानूनी माना जायेगा और उसके लिए उसके उस अधिकार को राज्य द्वारा बाधित किया जा सकता है। राज्य द्वारा बाधित किए जाने का मतलब है कि यदि व्यक्ति अपने धार्मिक अधिकार का कुछ इस प्रकार से प्रयोग करता है जिससे लोक व्यवस्था, सदाचार व् लोक स्वास्थ्य प्रभावित होती है तो कानून के तहत उसे सजा दी जा सकती है। 
        इस अनुच्छेद 25 (Article 25) के अंतर्गत इस अनुच्छेद की कोई भी बात राज्य द्वारा किसी भी कानून को बनाने, उसके संचालन करने व् आरम्भ करने को प्रभावित नहीं करेगी जो कि किसी भी धार्मिक आचरण से सम्बंधित आर्थिक, वित्तीय व् राजनैतिक क्रियाकलापों के लिए विनियमन करती है यानि कि नियम बनाती है या फिर निर्बंधन करती है यानि कि रोक लगाती है। इसके अलावा जो सामाजिक कल्याण व् सुधर के लिए सार्वजनिक प्रकार की हिन्दुओं की धार्मिक संस्थाओं को हिन्दुओं के सभी वर्गों और अनुभागों के लिए खोलने के लिए उपबन्ध करती है अर्थात provisions यानि कि कानून या नियम बनती है। 
        इस व्याख्या से अब यह बिलकुल स्पष्ट हो जाता है कि मसीह प्रचार व् प्रसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 (Article 25)  के अंतर्गत आता है और यह हर एक मसीह व्यक्ति का अधिकार है कि वह मसीह विश्वास के साथ इस देश में संवैधानिक रूप से आचरण कर सकता है। सामन्य तौर पर कोई भी संवैधानिक रूप में किसी और को यह अधिकार नहीं है कि वह मसीह विश्वास को बाधित करे या फिर उसका विरोध करे। 


अंग्रेजी में परिभाषा :






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